फिर उसी बेवफ़ा पे मर बैठे है
फिर उसी बेवफ़ा पे प्यार आया है
बैठे बैठें आज फिर उनका ख्याल आया है
वो नही थी मेरी फिर भी क्यू उन पे प्यार आया
जिंदगी में ये सवाल कई बार आया है
सोचते सोचते ज़ुबा पे उनका नाम आया है
वो राह में मिली थी अज़नबी बनकर
साथ हो गई जिंदगी की कहानी बनकर
वो ज़ुदा है मेरी जिंदगी से
फिर क्यू मेरे दर्द पे प्यार आया है
हज़ारों ख़्वाहिशें लेकर में जीये जा रहा हूँ
तमन्नाओं का शहर बसाये जा रहा हूँ
खोलती गिरहों को तो दिल उलझ जाता
उलझनों में भी हम से दिल लग जाता ।
आरिफ़ असास..नर्सिंग ऑफिसर
दिल्ली